September 17, 2024

नजरिया (सुदर्शन चक्रधर)- अजित पवार ‘महायुति’ छोड़ेंगे या साथ रहेंगे ?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति में महाभारत शुरू है. इसके केंद्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार हैं. असल में मामला सीटों के बंटवारे का चल रहा है और इसे लेकर भाजपा और शिंदे गुट के नेता अजित पर दबाव डाल रहे हैं, लेकिन अजित है कि मानने को तैयार नहीं है. अब महायुति में अजित पवार की बार-बार इतनी बेइज्जती की जा रही है कि वह सीधे सार्वजनिक चुनौती देते हुए कह रहे हैं कि मेरे कार्यकर्ताओं पर अपमानजनक टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

एक तरफ आरएसएस से जुड़े मराठी सप्ताहिक में एनसीपी (अजित गुट) पर जमकर निशाना साधा गया, तो वहीं अब एनसीपी (शरदचंद्र पवार) का भी इस पर बयान आया है. एनसीपी (शरद गुट) ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी, अजित पवार गुट से महायुति छोड़ने के लिए कह रही है.एनसीपी (शरद पवार) ने आरएसएस के मराठी साप्ताहिक में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन छोड़ने का संदेश दे रही है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीजेपी के एनसीपी के साथ गठबंधन के कारण ही लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी को खराब प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और राज्य के मंत्री तानाजी सावंत ने भी अजित पवार पर बम फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक में जब मैं अजित पवार के बगल में बैठता हूं, तो बाहर आने पर उल्टी होती है. इस बयान से अजीत पवार बहुत नाराज हुए. बताते हैं कि तानाजी सावंत ने यह बयान भाजपा और शिंदे गुट के वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर दिया है. अजित पवार के बारे में शिंदे जो सोचते हैं, वही बात तानाजी सावंत ने कही है. यह बात शरद पवार गुट के प्रवक्ता महेश तापसे ने बताते हुए सवाल किया कि क्या सत्ता की लालच में अब भी अजित पवार सरकार में बने रहेंगे?

अब अजित पवार पर सारा दारोमदार है कि वे ‘महायुति’ को गुड बाय कहते हैं या फिर उसी के साथ बने रहते हैं! बताते चलें कि अगर महायुति को छोड़ने की स्थिति बनती है, तो अजित पवार के सामने दो ही विकल्प हैं. पहला, या तो वे शरद पवार के साथ चले जाएं ….या फिर स्वतंत्र तौर पर चुनाव लड़े! मंत्री तानाजी सावंत ने जिस तरह से उन पर निशाना साधा है, उससे पार्टी के नेता असहज हैं.

महाराष्ट्र में इस तरह की निजी टिप्पणी अजित पवार पर आज तक कभी किसी ने भी नहीं की थी. हालांकि पिछले दिनों राज ठाकरे ने अजित पवार की तारीफ़ की थी और कहा था कि उन्होंने कभी जाति की राजनीति को बढ़ावा नहीं दिया. तानाजी सावंत के बयान के बाद नाराज अजित दादा ने साफ़ संकेत दिया कि वह बहुत ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेंगे. उनके गुट के नेता रामराजे नाईक निंबालकर ने कहा कि दादा (अजित पवार) महायुति को कभी भी गुड बाय बोल सकते हैं.

उधर, अजित पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष और एकमात्र सांसद सुनील तटकरे ने भी शिंदे गुट के नेताओं की ओर से लगातार हो रही बयानबाजी पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह के बयान देना उचित नहीं है. वह केंद्र के भाजपा नेताओं से बात करके अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान बनाए रखने का प्रयास करेंगे. इसी बीच अजित गुट के सभी कार्यकर्ता लाडली बहन योजना का श्रेय लेने की कोशिश में है. उनका कहना है कि अजित दादा, वित्त मंत्री हैं और उन्होंने ही इस योजना को मंजूरी दी है? देखना है कि महायुति में जारी यह घमासान आगे क्या रंग लाता है?