इन दिनों देश में गौरक्षकों की काफी धूम है, जिनमें से कई गौरक्षक अति भी कर रहे हैं. पहले गौरक्षा, एक धर्म माना जाता था. अब वह कर्म और व्यापार जैसा बन गया है. तभी इस धंधे में कई गुंडे भी शामिल हो चुके हैं. मगर इन स्वयंभू गौरक्षकों को क्या किसी की भी हत्या का अधिकार या लाइसेंस मिल गया है? जो आजकल गोली चलाने से पहले अपने शिकार का नाम और काम पूछने की भी जरूरत नहीं समझते! अब सवाल है कि क्या सरकार, ऐसे स्वयंभू गौरक्षकों पर लगाम लगाएगी? और क्या इस बात की गारंटी देगी कि शहर-शहर और गली-गली अब कोई नए गौरक्षक पैदा नहीं होगी?
उधर बुलडोजर न्याय पर ‘सुप्रीम ब्रेक’ क्या लगा, इधर आक्रामक गौरक्षकों की फौज अचानक कुछ शहरों में विचरने लगीं. पिछले दिनों केरल में संघ और भाजपा की समन्वय बैठक से संकेत मिलते ही नफरत के चिंटुएं बिल से फटाफट बाहर निकल गौरक्षा के नाम पर मनमानी करने लगे. तभी तो गौरक्षा के नाम पर हरियाणा के फरीदाबाद में गौतस्कर समझकर इन गुंडों ने अपने ही धर्म के एक 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा पर गोली चलाकर उसकी हत्या कर दी. यह घटना 24 अगस्त की अलसुबह 3 बजे आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर गदपुरी टोल प्लाजा के पास तब हुई, जब आर्यन मिश्रा अपने दोस्तों शैंकी और हर्षित के साथ लाल रंग की एसयूवी (डस्टर) में जा रहा था. उस समय पांच गौरक्षक-आरोपियों ने एक सफेद हैचबैक में उनका पीछा किया और चंद सेकंड बाद ही इन्होंने कार पर गोलियां चला दीं, जिससे आर्यन मिश्रा की मौत हो गई. वह 12वीं कक्षा का छात्र था.
पूछताछ में पता चला कि गौरक्षकों ने छात्र आर्यन मिश्रा को पशु-तस्कर समझकर गोली मारी थी. पुलिस ने सभी पांच आरोपियों- सौरभ, अनिल कौशिक, वरुण, कृष्ण और आदेश को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन इस बारे में आयरन के पिता सियानंद मिश्रा का बेहद महत्वपूर्ण बयान भी आया. उनके अनुसार, बेटा आर्यन 12वीं कक्षा का छात्र था। उन्होंने पूछा कि गौ-तस्करी के शक में किसी को गोली मारने का अधिकार किसने दिया? अगर मोदी सरकार ने ऐसा अधिकार दिया है, तो क्यों दिया?
सवाल है कि ये हत्यारोपी क्या ऐसी वारदात पहले भी कर चुके हैं? क्योंकि गौरक्षा के नाम पर फरीदाबाद, पलवल, मेवात और गुड़गांव जिलों में कई हत्याएं हो चुकी हैं. इन्हीं चार जिलों में गौरक्षकों के कई ग्रुप सक्रिय हैं. ये गौरक्षक समूह राजस्थान तक वाहनों का पीछा करते हैं और वाहनों पर हमले करने से लेकर गोली तक चलाते हैं.
हरियाणा और राजस्थान में तमाम पशुपालक गाय और भैंस खरीदकर एक इलाके से दूसरे इलाके जाते रहते हैं, ऐसे वाहनों को भी गौरक्षक निशाना बनाते हैं. राज्य में गौरक्षा के लिए सख्त कानून है और गौमांस पर पूरी तरह पाबंदी है. लेकिन भैंस के मांस पर कोई रोक-टोक नहीं है. क्योंकि सरकार को इससे राजस्व मिलता है. लेकिन गौरक्षक भैंस के मीट को भी बीफ बताकर पशु पालकों को परेशान करते हैं.
अब बड़ा सवाल यह है कि जब हरियाणा की जनता अक्टूबर महीने में वोट देने ईवीएम मशीनों के पास जाएगी, तो उसे याद आएगा कि कथित गौरक्षकों को नफरत की गोलियां बनाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा गौरक्षा सेवा आयोग का बजट 40 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 400 करोड़ किया था! जो भी हो, अब आर्यन मिश्रा की जान वापस तप महीन लाई का सकती, भले ही कथित गौरक्षकों को कितना भी पश्चाताप क्यों न हों!
More Stories
नजरिया (सुदर्शन चक्रधर) – लड्डू-प्रसादम में पशु-चर्बी ;भक्तों की आस्था से खिलवाड़
नजरिया (सुदर्शन चक्रधर) – पेरिस पैरालंपिक के ‘अद्-भुत महानायक’
नजरिया (सुदर्शन चक्रधर)- राहुल का अमेरिका से बीजेपी व संघ पर हमला