बीरेंद्र कुमार झा
इस समय राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश में हो रहे 10 सीटों के लिए चुनाव में समाजवादी पार्टी में फूट पड़ जाने की खबरें आ रही है।समाजवादी पार्टी के कम से कम आधा दर्जन विधायक एनडीए के खेमे में चले गए हैं।पार्टी के पांच विधायकों ने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की है। ऐसे में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव परिणाम के नतीजा के आने से पहले ही थोड़े खीझे हुए नजर आ रहे हैं।उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि बीजेपी जीत हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ खड़े होने का साहस हर किसी में नहीं होता है।जब मुख्यमंत्री और दिल्ली से फोन आ रहे हों तो किसकी हिम्मत है कि मना कर दे। वहीं उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा कि हमारी राज्यसभा की तीसरी सीट दरअसल सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा थी। इस्के द्वारा यह जानने का प्रयास था कि कौन-कौन दिल से पीडीए के साथ है और कौन अंतरात्मा से पिछड़े दलित और अल्पसंख्यकों के खिलाफ। अब सब कुछ साफ हो गया है। यही हमारी तीसरी सीट की जीत है।
एसपी और बीजेपी दोनों ने ही अपनी संख्या बल के हिसाब से ज्यादा उम्मीदवारों को उतारा
उत्तर प्रदेश में हो रहे राज्यसभा चुनाव में विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से एनडीए के पास कुल 7 तो समाजवादी पार्टी के पास राज्यसभा के 2 उम्मीदवारों को आराम से जिता लेने की ताकत थी,लेकिन समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन और राम जी सुमन के साथ तीसरे उम्मीदवार के तौर पर पूर्व आईएएस आलोक रंजन को खड़ा कर दिया तो बीजेपी ने आठवीं उम्मीदवार के तौर पर कारोबारी से नेता बने पूर्व समाजवादी संजय सेठ को मैदान में उतार दिया।इसके बाद समाजवादी पार्टी की मुश्किल है बढ़ गई।
एक सीट पर जीत के दोनो के प्रयास में बीजेपी के पक्ष में एसपी नेताओं ने की क्रॉस वोटिंग
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर जीत के लिए पहली वरीयता के 37 वोटो की जरूरत है। ऐसे में एनडीए के सभी उम्मीदवारों को 37- 37 वोट दिए जाने के बाद एनडीए के पास 18 वोट बच रहे थे। इधर आरएलडी के 9 वोट के साथ ही राजा भैया के जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के दोनों वोट भी एनडीए को ही मिले।इसके बावजूद एनडीए को 8 वोटो की और जरूरत थी। एक-एक वोट के लिए समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों तरफ से पूरी ताकत लगाई गई।समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने तीसरे उम्मीदवार की जीत के लिए प्रयास से ज्यादा अपने विधायकों को सहेजने की कोशिश की, लेकिन सोमवार की रात उसके डिनर से आठ विधायक गायब हो गए। इनमें मनोज पांडे ने मंगलवार को पार्टी के मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा भी दे दिया। विधायक मनोज पांडे, राकेश पांडे,राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और विनोद चतुर्वेदी के एनडीए खेमे में देखे जाने से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई।
लोकसभा चुनाव में जनता बीजेपी के इस करतूत का जवाब देगी
समाजवादी पार्टी के पास कुल 108 वोट थे। कांग्रेस से गठबंधन के बाद उसके दो वोट भी समाजवादी पार्टी को मिलने थे।इसके बावजूद तीसरे उम्मीदवार की जीत के लिए उसे एक और वोट की जरूरत थी। समाजवादी पार्टी के दो विधायक अभी जेल में है।उन्हें भी वोट देने की इजाजत नहीं मिली। इस बीच एक के बाद एक विधायकों की बगावत की स्थिति सामने आने के बाद अखिलेश यादव कुछ बुझे से नजर आए।उन्होंने पहले मीडिया से बातचीत के दौरान फिर एक्स पर पोस्ट के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त की।इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि अगले लोकसभा चुनाव पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है और जब लोकसभा चुनाव में इसका मुकाबला जनता से होगा तो बीजेपी को इसका जवाब मिल जाएगा।