बीरेंद्र कुमार झा
भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को लागू कर दिया है, जिसके चलते दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पड़ोसी मुल्कों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिल सकेगी। इन नियम के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थी भारत के नागरिक बन पाएंगे। इस कानून से उन लाखों लोगों को फायदा होने की उम्मीद है, जो सालों से भारत में रह तो रहे हैं, लेकिन उनके पास कोई अधिकार नहीं है।हालांकि इन लोगों को यह नागरिकता महज आवेदन करने से ही नहीं मिल जाएगी। इसके लिए एक प्रक्रिया तय है, जिसका उन्हें पालन करना होगा।
सबसे अहम है सुरक्षा जांच
पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में रह रहे शरणार्थियों के लिए भारत की नागरिकता पाने की दिशा में सबसे अहम है सुरक्षा जांच का होना। इसकी रिपोर्ट के बाद ही आवेदकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के अनुसार ऑनलाइन आवेदनों की जांच के लिए एक सशक्त समिति का गठन किया जाएगा।गृह विभाग की तरफ से जारी विस्तृत आदेश में कहा गया है कि सशक्त समिति आवेदनों पर इंक्वारी कर सकती है। वह आवेदन पर एक रिपोर्ट मांग सकती है। इसमें से एक सुरक्षा क्लीयरेंस भी होगा। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से जब मंजूरी मिल जाएगी तभी आवेदनों को आगे बढ़ाया जाएगा। आवेदन मिलने पर सुरक्षा एजेंसियों का क्लीयरेंस भी पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा।
नागरिकता के लिए राज्य या केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर डाले जाएंगे आवेदन
सीएए के नियमों के अनुसार आवेदक को राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश के स्तर पर नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा।इन आवेदनों का रिव्यू होम मिनिस्ट्री और सुरक्षा एजेंसी द्वारा भी किया जाएगा। नागरिक संशोधन कानून 2019 के तहत उन लोगों को भारत का नागरिकता देने का प्रावधान रखा गया है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत में शरण के लिए आए थे। हिंदू,बौद्ध, जैन, और सिख पंथ के वे लोग इसके साथ आवेदन कर सकेंगे जो उत्पीड़न की वजह से भारत में आए थे। सरकार के मुताबिक हिंदू, जैन ,बौद्ध और सिख धर्म के लोगों की वास्तविक शरणस्थली भारत ही है। ऐसे में यदि उनका कहीं भी दुनिया में उत्पीड़न होता है तो यह भारत का ही रूख करेंगे। ऐसी स्थिति में भारत को इन्हें शरण देना चाहिए। इसी मकसद से यह कानून बनाया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली, राजस्थान और यूपी समेत कई राज्यों में बड़ी संख्या में पाकिस्तान,बंगला देश और अफगानिस्तान इन तीन पड़ोसी देशों से उत्पीड़न का शिकार होकर आए लोगों की आबादी बसी है। यही नहीं इन लोगों में बड़ी संख्या में दलित समुदाय के हिंदुओं बसे हैं।ऐसे में इन्हें शरण देने के फैसले का एक बड़ा वर्ग इसका बहुत स्वागत कर रहा है।