बीरेंद्र कुमार झा
हिमाचल प्रदेश में राज्य सभा चुनाव के बाद कांग्रेस दो तरफा खतरे से घिर गया।एक तो कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के हाथों हार हो गई और दूसरा,क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को जिताने वाले कांग्रेस नेताओं के बागी होने के कारण हरियाणा के सुक्खू सरकार पर अल्पमत में आने की वजह से सरकार चले जाने का खतरा मंडराने लगा था। लेकिन हिमाचल प्रदेश में जारी इस संकट पर फिलहाल कांग्रेस को बड़ी राहत मिल गई है। विधानसभा में बुधवार को विपक्ष की अनुपस्थिति में हिमाचल प्रदेश विनियोग विधेयक 2024 को पारित कर दिया गया तथा 15 बीजेपी विधायकों के निष्कासन और अन्य 10 के वॉक आउट के बाद सुक्खू सरकार ने बजट को सदन से पास कर लिया और विधानसभा सत्र को भी अनिश्चित कल के लिए स्थगित कर दिया।इस प्रकार सरकार के गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है,हालांकि यह खतरा आगे बागी गुट के नेताओं के मनाए जाने तक बनी रहेगी।
विधायकों के निलंबन का उठा मुद्दा
बुधवार दोपहर भोजन के बाद विधानसभा की कार्यवाही आरंभ हुई। बीजेपी के 15 निष्कासित विधायक विधानसभा के सदन में नहीं आए। सदन की कार्यवाही शुरू होती बीजेपी के वरिष्ठ विधायक सतपाल सत्ती ने बीजेपी के विधायकों के निष्कासन का मुद्दा सदन में उठाया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने सदन में कहा कि बीजेपी विधायकों को निष्कासन के दौरान किए गए हंगामे के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।उन्होंने कहा हिमाचल में चाहे फौजी लगाओ या सीआरपीएफ लगाओ यह जनता को नहीं डरा सकती है।राज्यसभा चुनाव में बीजेपी द्रव्य से जीती है ।जिन्होंने नियमों को तोड़ा है उन पर कार्रवाई की जाए।
सरकार पर अल्पमत में आने का आरोप लगाते हुए बीजेपी नेताओं का बहिर्गमन
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के भाजपा विधायकों के निष्कासन के दौरान हंगामे के चलते की जाने वाली कार्रवाई के बाबत विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि बीजेपी के 15 विधायकों का निष्कासन किया गया है। इन विधायकों ने सदन की परंपराओं को तोड़ा है,जो दुखद है। सदन में आज जो हंगामा हुआ है, उस पर भी भविष्य में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। वहीं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान सदन के स्थगित होने के बाद भी बैठे रहे और हो हल्ला करते रहे। उन्होंने कहा कि यह नियमों के खिलाफ है, और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं बीजेपी विधायक सतपाल सती ने कहा सरकार अल्पमत में आ गई है।उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जा कि 15 विधायकों को निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के 15 सदस्यों को निकाला गया है,इसलिए हम भी सदन में नहीं रहना चाहते हैं, इसके साथ ही बीजेपी के बचे हुए सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गई।
पार्टी के पर्यवेक्षक पहुंचे शिमला
इस बीच कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीके शिवाकुमार शिमला पहुंच गए हैं। दोनों नेता यहां कांग्रेस के सभी विधायकों से मुलाकात करेंगे और उनसे फीडबैक लेकर रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी हाई कमान की ओर से कुछ बड़ा फैसला किया जा सकता है ।बागी गुट की ओर से नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई गई है।बुधवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।इसके बाद यहां कांग्रेस पार्टी दो खेमों में बंट गई है।
विक्रमादित्य सिंह ने पिता और खुद के सम्मान हनन का उठाया मुद्दा
सुक्कू सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने पिता पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह को सम्मान नहीं दिए जाने और अपने अपमान का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विधायकों की अनदेखी की वजह से यह नौबत आई है। हालांकि उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की अटकलें को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा कुछ नहीं है। मैं हमेशा जो भी कहता हूं वह तथ्यों और साक्ष्य के आधार पर करता हूं। ऐसा कुछ नहीं है। यह सब अफवाह है। मैं सच बोलता हूं और बिना राजनीतिक मिलावट के कहता हूं। जो भी हमें कहना होगा हम साफ तरह से कहेंगे।