बीरेंद्र कुमार झा
इस बार 15 राज्यों से राज्यसभा की कुल 56 सदस्यों का चुनाव होना था। इसमें से 41 सदस्य निर्विरोध चुने जा चुके हैं। बाकी बची 15 सीटों पर मंगलवार को चुनाव होना है। इन 15 सीटों में से 10 सीट उत्तर प्रदेश,4 सीट कर्नाटक और 1 सीट हिमाचल प्रदेश की है। इन तीन राज्यों में से दो कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस शासित राज्य हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है।इन तीनों ही राज्यों में राज्यसभा चुनाव को लेकर क्रॉस वोटिंग का खतरा मंडरा रहा है।
राज्य सभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश की स्थिति
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की खाली हुई 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में है। सत्ताधारी बीजेपी ने राज्य सभा के इस चुनाव में आठ उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि विपक्षी राजनीतिक समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं। विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से बीजेपी के 7 और समाजवादी पार्टी के 2 उम्मीदवार आसानी से जीत सकते हैं,लेकिन बाकी बचे दसवीं सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के बीच घमासान होने के आसार हैं। बीजेपी ने नामांकन की आखिरी तारीख पर अपने आठवीं प्रत्याशी के तौर पर पूर्व समाजवादी पार्टी नेता संजय सेठ को उतार दिया।इससे न सिर्फ यहां का सियासी खेल दिलचस्प हो है,बल्कि समाजवादी पार्टी के तीसरे उम्मीदवार की जीत में भी पेंच फस गया है।
ऐसे में उतर प्रदेश के राज्य सभा चुनाव को लेकर अब दोनों ही पार्टियों को इस एक सीट पर जीत के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।इसी सियासी मशक्कत में क्रॉस वोटिंग की संभावना बढ़ गई है। माना जा रहा है समाजवादी पार्टी के कई विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। राज्यसभा चुनाव से 1 दिन पहले सोमवार रात को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी विधायकों की एक बैठक बुलाई थी। लेकिन उसमें समाजवादी पार्टी के आठ विधायक शामिल नहीं हुए। इन विधायकों की गैर मौजूदगी के बाद से वहां तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं।
समाजवादी पार्टी के आठ विधायक मीटिंग से गायब
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने राज्यसभा चुनाव में मतदान और उन प्रक्रियाओं के बारे में बताने के लिए पार्टी विधायकों की एक बैठक बुलाई थी। लेकिन उसमें विधानसभा में समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे, मुकेश वर्मा, महाराजी देवी,पूजा पाल, राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी,राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह शामिल नहीं हुए। समाजवादी पार्टी के दो विधायक जेल में है, जबकि पल्लवी पटेल बागी रूख अपनाए हुए हैं।
अगर इन विधायकों ने बीजेपी के आठवें उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वेटिंग किया तो समाजवादी पार्टी के तीसरा प्रत्याशी को जीतने में मुश्किल हो सकती है। उत्तर प्रदेश से एक उम्मीदवार को राज्यसभा पहुंचने के लिए प्रथम वरीयता वाले 37 वोटो की जरूरत है। समाजवादी पार्टी के पास यूपी असेंबली में 108 विधायक हैं। जबकि उसके गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस के पास दो विधायक और बीएसपी के पास एक विधायक है।अगर समाजवादी पार्टी अपने सभी विधायकों को साथ रखने में कामयाब नहीं हुई तो उसके तीसरे प्रत्याशी को जीत हासिल करने में मुश्किल पैदा हो सकती है, क्योंकि समाजवादी पार्टी को अपने तीनों उम्मीदवारों को जीताने के लिए 111 वोटो की जरूरत पड़ेगी।
कौन-कौन उम्मीदवार खड़े हैं यूपी राज्यसभा चुनाव में
समाजवादी पार्टी ने अभिनेत्री जया बच्चन,पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक रंजन और पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन को राज्यसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है।गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी से सिर्फ जया बच्चन की ही सीट खाली हुई थी। वहीं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कुल 8 उम्मीदवार मैदान में है।इनमें सुधांशु त्रिवेदी , आरपीएन सिंह ,अमरपाल मौर्य,तेजपाल सिंह, नवीन जैन, साधना सिंह, संगीता बलवंत और संजय सेठ शामिल है।
यूपी में बीजेपी की स्थिति
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को आठ उम्मीदवारों को जीतने के लिए 296 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। लेकिन विधानसभा में उसके पास 252 विधायक ही हैं। इसके अलावा इसके सहयोगी दलों के 34 विधायक और राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के 2 विधायक भी बीजेपी के साथ हैं। इस तरह भाजपा के पास कुल 288 विधायकों का समर्थन है, जो जरूरत से आठ कम पड़ रहा है। उधर समाजवादी पार्टी को तीन विधायक कम पड़ रहे हैं और कई विधायक बगावत के मूड में देख रहे हैं।ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी के मीटिंग में अनुपस्थित रहे आठ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया, तभी बीजेपी यूपी में अपने सभी उम्मीदवारों को जिताने में सफल हो पाएगी।
कर्नाटक की स्थिति
कर्नाटक में राज्यसभा की चार सीटों के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में हैं। अजय माकन,सैयद नासिर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार है,जबकि नारायण बंदगे बीजेपी और भूपेंद्र रेड्डी जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवार हैं।कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव का माहौल तब दिलचस्प हो गया जब बीजेपी – जीडीएस गठबंधन ने अपना दूसरा उम्मीदवार भूपेंद्र रेड्डी को मैदान में उतार दिया ,हालांकि यह गठबंधन 4 में से केवल एक सीट जीतने की ही ताकत रखता है।
224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 135 विधायक हैं ,बीजेपी की 66 और जीडीएस के 19 विधायक हैं। अन्य विधायकों की संख्या चार है।चार सीटों के लिए हो रहे राज्यसभा चुनाव के लिए एक सदस्य को जीतने के लिए 45 प्राथमिक वोटों की जरूरत है।ऐसे में कांग्रेस अपने तीनों उम्मीदवारों को जीता सकती है। बावजूद इसके क्रॉस वोटिंग कि आशंकाओं के बीच कांग्रेस ने सोमवार को अपने सभी विधायकों को एक होटल में स्थानांतरित कर दिया है। सभी पार्टियों ने मंगलवार को होने वाले मतदान के लिए अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है।
हिमाचल प्रदेश में भी क्रॉस वोटिंग का खतरा
कांग्रेस शाशित हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सीट पर भी चुनाव होना है ।यह सीट बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा होने की वजह से खाली हुई थी।जेपी नड्डा गुजरात से निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने जा चुके हैं ।कांग्रेस ने यहां से अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाया है ,जबकि बीजेपी ने उनके मुकाबले कांग्रेस से बीजेपी में आए हर्ष महाजन को अपना उम्मीदवार बनाया है।यहां विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं। तीन निर्दलीयों का भी समर्थन हासिल है।यहां जीत के लिए सिर्फ 35 विधायकों की ही जरूरत है,जिसे कांग्रेस आसानी से जीत सकती है।
हिमाचल प्रदेश में विपक्षी दल भाजपा के पास सिर्फ 25 विधायक ही हैं, लेकिन उसकी नजर असंतुष्ट विधायकों पर है।अगर असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों न क्रॉस वोटिंग किया तो कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है। कुल मिलाकर यह चुनाव मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है, जिन्होंने पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की कमान संभाली थी।