अखिलेश अखिल
देश में बेरोजगारी चरम पर पहुँच गई है। एक तरफ विकास की बातें की जा रही है तो दूसरी तरफ देश के युवा बेरोजगारी को लेकर काफी परेशान है। ऐसे में अगर देश की बेरिजगारी की समस्या को हल नहीं किया गया तो आने समय में और भी कई तरह की मुसीबतें खड़ी हो सकती है। ऐसे में भारत को साल 2030 तक 11.5 करोड़ नई नौकरियां पैदा करनी होंगी क्योंकि ज्यादा लोग अब काम की तलाश में जुट रहे हैं।
एक अध्ययन के मुताबिक़, अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए भारत को सर्विस सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना होगा।अध्ययन में ये भी बताया गया है कि पिछले दशक में जहां हर साल 1.24 करोड़ नौकरियां पैदा हुई थीं, वहीं अब हर साल 1.65 करोड़ नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।
ये रिपोर्ट ट्रिन्ह गुयेन ने लिखी है जो कि नैटिक्सिस एसए की सीनियर इकोनॉमिस्ट हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि इनमें से 1.04 करोड़ नौकरियां फॉर्मल सेक्टर (सरकारी और बड़े निजी क्षेत्र) की होनी चाहिए।
उन्होंने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा “इतने बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को अगले पांच सालों में हर क्षेत्र में तेजी से तरक्की करनी होगी, चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग हो या फिर सर्विस सेक्टर।”
भारत की अर्थव्यवस्था इस साल 7% से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है, जो दुनिया में सबसे तेज विकास दरों में से एक है। लेकिन फिर भी ये रफ्तार इतनी तेज नहीं है कि 1.4 अरब लोगों के लिए पर्याप्त रोजगार पैदा कर सके। अभी चल रहे राष्ट्रीय चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार जीत हासिल करना चाहते हैं, लेकिन युवाओं में बेरोजगारी की ऊंची दर उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।
अध्ययन में ये भी बताया गया है कि पिछले दशक में भारत की अर्थव्यवस्था ने 11.2 करोड़ नौकरियां पैदा कीं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10% ही फॉर्मल सेक्टर की नौकरियां थीं। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़, भारत में कुल मिलाकर सिर्फ 58% लोग ही काम करने की दौड़ में शामिल हैं, जो एशिया के दूसरे देशों के मुकाबले काफी कम है।
ट्रिन्ह गुयेन का कहना है कि भारत का सर्विस सेक्टर, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का आधे से ज्यादा हिस्सा है, रोजगार के मामले में सीमित है और यहां मिलने वाली नौकरियों में भी स्किल्स की कमी होती है। उनका मानना है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का फायदा उठा सकता है। वो उन कंपनियों और देशों को अपनी तरफ खींच सकता है जो चीन पर निर्भरता कम करना चाहते हैं।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा, “नई सरकार को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का फायदा उठाना चाहिए और मौजूदा आबादी और वैश्विक राजनीतिक परिस्थिति का फायदा उठाना चाहिए। भले ही आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन सही रास्ते पर चलना कभी भी देर नहीं होती।”