बीरेंद्र कुमार झा
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान कर दिया है।लोक सभा चुनाव की घोषणा के साथ ही महाराष्ट्र में सियासत तेज हो गई है और कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया अलांयस एक्टिव हो गया है।राज्य में सीटों को लेकर बात नहीं बन पा रही है, ऐसे में इंडिया गठबंधन को प्रकाश आंबेडकर के इस गठबंधन से दूर जाने का डर सता रहा है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसारा आगामी चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने सीट शेयरिंग के दो फॉर्मूले तैयार किए हैं।
महाविकाश आघाड़ी गठबंधन के सीट शेयरिंग को लेकर पहला समझौता
पहले फॉर्मूले के तहत महाविकास आघाड़ी अगर प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी को गठबंधन में शामिल किए बिना चुनाव लड़ सकती है । इस परिस्थिति में शिवसेना (यूबीटी) 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस 16 और एनसीपी शरद पवार गुट 10 सीट पर चुनाव लड़ सकती है।
महाविकाश आघाड़ी गठबंधन का सीट शेयरिंग पर दूसरा समझौता
दूसरा फॉर्मूले के मुताबिक महाविकास आघाड़ी, प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। इस परिस्थिति में शिवसेना(यूबीटी) 20, कांग्रेस 15 , एनसीपी 9 और वंचित बहुजन अघाड़ी 4 सीट पर चुनाव लड़ सकती है। यानि प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी के गठबंधन में शामिल होने पर महाविकास आघाड़ी के घटक दलों को अपने हिस्से के सीटों में से कुछ सीट वंचित बहुजन आघाड़ी के लिए छोड़ना पड़ेगा।इस नए फार्मूले में शिवसेना (यूबीटी) अपने कोटे से 2 सीट, कांग्रेस 1 सीट और एनसीपी (शरद पवार) अपने कोटे से वंचित बहुजन अघाड़ी 1सीट देंगी ।
प्रकाश आंबेडकर को पहले 2 सीट का मिला था ऑफर
इससे पहले महा विकास अघाड़ी ने प्रकाश आंबेडकर को दो सीटों का प्रस्ताव दिया था,जिसके बाद उनके इंडिया एलायंस से दूर जाने की बात सामने आने कही थे।तब एमवीए ने उन्हें शिरडी और अकोला सीट ऑफर की थी,लेकिन अब उन्हें 4 सीट मिल सकती है।
इंडिया और एनडीए दोनों के लिए महाराष्ट्र महत्वपूर्ण
महाराष्ट्र में फिलहाल एनडीए की सरकार है। इस एनडीए में शामिल शिव सेना शिंदे गुट और एनसीपी अजीत पवार गुट दोनो ही अपने मूलदल से टूटकर बने दल हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ही के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं। पिछली बार शिवसेना ने महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।हालांकि, बाद में पार्टी में दो फाड़ हो गई थी।वहीं ,शरद पवार की पार्टी भी टूट चुकी है। कांग्रेस के भी कई नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं।