बीरेंद्र कुमार झा
बिहार विधान परिषद की 11 रिक्त सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है। नामांकन के पहले दिन किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।वे लगातार चौथी बार विधान परिषद के सदस्य चुने जाएंगे। विधान परिषद के इस द्विवार्षिक चुनाव में जेडीयू को दो सीटें मिलेगी। पहले सीट से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद उम्मीदवार होंगे,जबकि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दूसरी सीट से जेडीयू मौजूदा सदस्य खालिद जानवर को दूसरी बार उम्मीदवार बनाएगा।
1985 में नीतीश कुमार ने जीता था पहला विधानसभा चुनाव
नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं। इनका राजनीतिक सफर जयप्रकाश नारायण आंदोलन से शुरू हुआ था। नीतीश कुमार 1977 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा की अध्यक्षता वाली समता पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने पहली बार 1970 में हरनौत से चुनाव लड़ा, लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके बाद 1980 के चुनाव में भी उन्हें हर का सामना करना पड़ा। आखिरकार नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में पहली जीत 1985 में हरनौत से ही मिली।
केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे हैं नीतीश कुमार
1985 के बाद नीतीश कुमार ने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने अपना रूख केंद्रीय राजनीति की तरफ कर लिया। वर्ष 1991,1996, 1998 ,1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की।वे अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में पहले कृषि मंत्री और फिर रेल मंत्री बने।
2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार
नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, हालांकि उनका यह कार्यकाल सिर्फ 7 दिन का ही रहा था। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में जब एनडीए को हार मिली तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपना रुख राज्य की राजनीति की तरफ कर लिया।उन्होंने बिहार में बढ़ रहे अपराध के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया जिसके फलस्वरूप 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बन गई और नीतीश कुमार उसमें मुख्यमंत्री बने।
नीतीश कुमार लगातार चौथी बार बनेंगे बिहार विधान परिषद के सदस्य
2005 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो नीतीश कुमार उस समय सांसद थे। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसदी से इस्तीफा दिया और बिहार विधान परिषद के सदस्य बन गए। 2006 में नीतीश कुमार पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने,इसके बाद 2012 और 2018 में भी वे विधान परिषदके सदस्य बने और अब चौथी बार बिहार विधान परिषद का सदस्य बनेंगे।
21 मार्च को है विधान परिषद के लिए मतदान
गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए 4 मार्च से नामांकन शुरू हो चुका है।नामांकन की अंतिम तिथि 11 मार्च निर्धारित की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 12 मार्च को होगी जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 14 मार्च निर्धारित की गई है। आवश्यक होने पर मतदान 21 मार्च को कराया जाएगा।
इन सदस्यों का कार्यकाल हो रहा है समाप्त
बिहार विधान परिषद के जिन सदस्यों का कार्यकाल 6 मई 2024 को समाप्त हो रहा है, उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, खालीद अनवर, प्रेमचंद मिश्रा मंगल पांडे, विरोधी दल की नेता राबड़ी देवी, उपसभापति रामचंद्र पूर्वे,रामेश्वर महतो, संजय पासवान, सैयद शाहनवाज हुसैन, संजय कुमार झा और मंत्री संतोष कुमार सुमन के नाम शामिल हैं।इसमें संजय कुमार झा पहले ही राज्य सभा चुनाव में निर्वाचित हो चुके हैं।