बीरेंद्र कुमार झा
ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा विपक्षी राजनीतिक दल अक्सर उठाते रहता है। प्रधानमंत्री द्वारा बीजेपी 370 और एनडीए 400 पार के नारे पर भी इंडिया गठबंधन के राहुल गांधी ने ईवीएम के साथ मैच फिक्सिंग की बात कही थी।इसी क्रम में ईवीएम में कोई छेड़ छाड़ न होने पाए इसे लेकर शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है।इसमें यह मांग की गई है कि सभी वीवीपीएटी यानी वाटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल स्लिप की गणना या अकाउंटिंग हो । इस याचिका की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है।इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच कर रही है।
क्या कहा गया है याचिका में
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा समर्थित और सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड नेहा राठी के माध्यम से प्रस्तुत याचिका चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों पर सवाल उठाती है। यह दिशा निर्देश वीवीपीएटी सत्यापन के लिए अनुक्रमिक दृष्टिकोण निर्धारित करते हैं, जिससे संभावित रूप से देरी हो सकती है। अग्रवाल का प्रस्ताव है कि अतिरिक्त अधिकारियों की तैनाती और एक साथ सत्यापन प्रक्रियाओं के माध्यम से वीवीपीएटी पर्चियां की पूरी जांच महज 5 से 6 घंटे के भीतर की जा सकती है।
वीवीपीएटी को लेकर वर्तमान स्थिति
चुनाव आयोग द्वारा स्थापित वर्तमान व्यवस्था में वीवीपीएटी के माध्यम से मतदाता यह देख सकते हैं कि ईवीएम का बटन उन्होंने जिस उम्मीदवार के लिए दबाया था,मत उसके ही पक्ष में गया या नहीं।इसकी निष्पक्षता के लिए चुनाव आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार वर्तमान समय में वीवीपीएटी से याद्रेक्षिक रूप से एक के बाद एक वीवीपीएटी की पर्ची का सत्यापन किया जाता है।
अदालत में हुई सुनवाई
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल और नेहा राठी की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई की। इस मामले को लेकर शीर्ष न्यायालय की पीठ ने भारत के चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस थमाया है।इसके साथ ही पीठ ने इस याचिका को गैर सरकारी संगठन एसोसियेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर की गई एक समान अपील के साथ जोड़ दिया गया जो इसी तरह के उपाय चाहता है ।