बीरेंद्र कुमार झा
राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और एक विधायक गैर हाजिर रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि इससे न सिर्फ समाजवादी पार्टी के तीसरे उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा, बल्कि इससे कांग्रेस के लिए भी एक चिंताजनक स्थिति बनती नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी के चीफ व्हिप मनोज पांडे समय 7 विधायकों के पार्टी लाइन से हट कर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में डाले गए वोट को कांग्रेस के लिए बड़ा शॉकिंग माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी का बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग,कांग्रेस के लिए कैसे बन रहा परेशानी का सबब
राज्यसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी चुनाव में खड़ी नहीं थी। ऐसे में समाजवादी पार्टी विधायकों की क्रॉस वोटिंग, कांग्रेस के कि एक बड़ा झटका कैसे हो सकता है? जबकि राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अपने दो विधायकों वाले छोटा सा कुनबा एकजुट रखने में सफल रही थी। दरअसल समाजवादी पार्टी के दिन साथ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, उनमें से एक-एक विधायक रायबरेली और अमेठी से है।जिन महाराजी देवी ने वोटिंग से किनारा कर लिया, वह भी अमेठी की ही है।
समाजवादी पार्टी उम्मीदवार की बीजेपी कैंडिडेट के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले राकेश प्रताप सिंह अमेठी जिला के गौरीगंज सीट से विधायक हैं। वहीं पार्टी के चीफ व्हिप रहे मनोज पांडे रायबरेली जिला की ऊंचाहार सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। राकेश सिंह की गिनती जहां समाजवादी पार्टी के मजबूत नेताओं में होती है, तो वहीं मनोज पांडे अखिलेश के करीबियों में गिने जाते थे। समाजवादी पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा मनोज पांडे पार्टी के चीफ व्हिप भी थे। उन्हीने वोटिंग से ठीक पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कुम्हार बिरादरी से आने वाली अमेठी की महाराlजी देवी अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की पत्नी है ।ओबीसी वर्ग के मतदाताओं के बीच गायत्री प्रजापति की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है।
क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों का नाता कांग्रेस के गढ़ रायबरेली और अमेठी से
समाजवादी पार्टी की लाइन से अलग जाकर क्रॉस वोटिंग करना कांग्रेस को इसलिए टेंशन में डालने वाला है क्योंकि इन विधायकों का नाता गांधी परिवार का गढ़ रायबरेली और अमेठी से है। समाजवादी पार्टी के साथ हुई सीट शेयरिंग में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है। ऐसे में अमेठी और रायबरेली में समाजवादी पार्टी के झंडाबरदार रहे मजबूत कंधे लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी छोड़ गए तो कांग्रेस की राह मुश्किल हो सकती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर एक-एक कर इन इलाकों के मजबूत नेता समाजवादी पार्टी छोड़ गए तो क्या कांग्रेस और गांधी परिवार कि यह दो सीट जीत पाएंगे, वह भी तब जबकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पिछले चुनाव में अमेठी सीट से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। दरअसल रायबरेली में कांग्रेस ने ठाकुर और ब्राह्मण दोनों बिरादरी के मतदाताओं को अपने साथ जोड़ रखा था। रायबरेली में अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह जैसे ठाकुर नेता कांग्रेस को झटका देकर पहले ही बीजेपी के साथ जा चुके हैं। बीजेपी ने 2017 के चुनाव से ही यहां अपनी जमीन तैयार करने का अभियान शुरू कर दिया था।
बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग ने बढ़ाई कांग्रेस की मुसीबत
राज्यसभा चुनाव के बहाने बीजेपी ने रायबरेली और अमेठी में जिस तरह से सोशल इंजीनियरिंग की है, उससे कांग्रेस की मुसीबत बढ़ती हुई नजर आ रही है। सिर्फ ठाकुर और ब्राह्मण ही नहीं मौर्य और कुम्हार बिरादरी को भी अपने पाले में लाने की सत्ताधारी दल की कवायद यहां नज़र आ रही है। ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे बीजेपी के साथ खड़े हो गए हैं,तो वहीं ऊंचाहार से ही पिछली बार चुनाव लड़ने वाले अमरपाल मौर्य को पार्टी ने राज्यसभा भेज दिया है। गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी ने राज्यसभा चुनाव में वोटिंग से दूरी बना ली,लेकिन बीजेपी के साथ उनकी नजदीकी के भी चर्चा हैं।इन सभी की बीजेपी से नजदीकी की वजह से रायबरेली और अमेठी में पहले से ही कड़ी चुनौती से जूझ रही कांग्रेस की मुसीबतें और बढ़ती नजर आ रही है।
रायबरेली अमेठी में मुश्किल होगी कांग्रेस की राह
समाजवादी पार्टी रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर हमेशा कांग्रेस का समर्थन करती रही है। जब दोनों पार्टियां पूरे प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ती थी तब भी इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी बिना शर्त कांग्रेस को समर्थन देती रही है। ऐसे में कांग्रेस का गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ होने से कांग्रेस कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें थी।ऐसे में कांग्रेस के बाद अब समाजवादी पार्टी के मजबूत नेता भी एक-एक करके बीजेपी के साथ खड़े होते जा रहे हैं। इससे कांग्रेस पार्टी के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती होगी।गौरतलब है कि सोनिया गांधी ने अमेठी और रायबरेली को गांधी परिवार की सीट बताते हुए ऐलान किया है कि इस बार भी पार्टी इन सीटों से परिवार के किसी सदस्य को ही चुनाव मैदान में उतारेगी।
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा ।अगर गांधी परिवार का कोई सदस्य यहां से चुनाव नहीं लड़ता है, तो कांग्रेस या समाजवादी पार्टी का वह कौन नेता होगा जो यहां गांधी परिवार के लिए दमदारी से खड़ा होगालड़े यह सवाल इसलिए भी गहरा हो गया है क्योंकि बीजेपी कांग्रेस समाजवादी पार्टी के लगभग सभी मजबूत करने को अपने पाले में ला चुकी है ऐसे में क्रॉस वोटिंग करने वाले समाजवादी पार्टी के विधायकों का यह झटका जितना समाजवादी पार्टी के लिए है उसे कहीं बड़ा या झटका गांधी परिवार के लिए है, जिनके लिए यह सियासी रसूख पर बन आई है। राज्यसभा चुनाव के लिए यूपी में बीजेपी की इस व्यूह रचना को अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस और गांधी परिवार की जमीन खिसकाकर इन दोनों जगहों पर अपनी जमीन मजबूत करने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।