बीरेंद्र कुमार झा
इलेक्टोरल बांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से फिर जवाब मांगा है।एसबीआई ने चुनाव आयोग को पूरी जानकारी नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को नोटिस जारी कर पूछा कि उसने इलेक्टोरल बॉन्ड की यूनिक नंबर निर्वाचन आयोग को क्यों नहीं दिए हैं ?कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए एसबीआई से सोमवार तक जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद एसबीआई ने बुधवार को भारतीय निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा सौंपा था।वही आदेश के मुताबिक गुरुवार को ही चुनाव आयोग ने इस डाटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।हालांकि इसमें किसी भी बॉन्ड का यूनिक नंबर नहीं दिया गया है।
सीजेआई ने उठाए सवाल
सीजी डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने एसबीआई से कहा कि हमारा निर्देश बहुत ही स्पष्ट था। हमने पूरा विवरण देने के लिए कहा था, लेकिन उसने यूनिक नंबर की जानकारी नहीं दी। एसबीआई को इसकी जानकारी देनी पड़ेगी।शीर्ष न्यायालय ने एसबीआई को 18 मार्च तक का समय दिया है। इस पर सोलसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि अगर इस बारे में एसबीआई को कुछ कहना है ,तो सवाल उसी से किया जा सकता है।
किसने किसे चंदा दिया,इस बात की नहीं है जानकारी
चुनाव आयोग ने एसबीआई द्वारा प्रदत इलेक्टरल बॉन्ड की जानकारी को लेकर दो लिस्ट जारी किया है। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है, तो दूसरे लिस्ट में राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बांड का ब्योरा दिया गया है। हालांकि इससे यह जानकारी नहीं मिल पा रही है कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है? यूनिक नंबर से यह पता चल सकता है कि किसने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है? सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने एडीआर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि बॉन्ड के सीरियल नंबर नहीं दिए गए हैं।इसी से पता चलेगा का आखिर बॉन्ड किसके लिए खरीदे गए हैं।
एसबीआई ने 12 अप्रैल 2019 से 11जनवरी 2024 तक का दिया है डाटा
एसबीआई में चुनाव आयोग को 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक का डाटा दिया है। इसमें सबसे ऊपर फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज का नाम है। इस कंपनी ने राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 1368 करोड रुपए का चंदा दिया है।यह बॉन्ड 21 अक्टूबर 2020 से जनवरी 2024 के बीच खरीदे गए थे। वहीं दूसरा नाम मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का है, जिसने 821 करोड रुपए के इलेक्टोरल बांड खरीदे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को करार दिया है असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है।इलेक्टरल बॉन्ड वाली स्कीम को भारतीय जनता पार्टी 2017 में लेकर आई थी और इसे पारदर्शी बताया था।हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया कि एसबीआई को तय समय सीमा के अंदर ही इससे जुड़े डाटा चुनाव आयोग को भी सौंपना होगा। एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में समय बढ़ाने के लिए अर्जी दी।बैंक 30 जून तक का समय मांग रहा था, लेकिन जुड़ीसुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए एसबीआई को सारा डाटा सौंपने के लिए 1 दिन का समय दिया ।ऐसे में 12 मार्च को एसबीआई में इलेक्टोरल बांड का डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया।चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया ।इस आंकड़े के मुताबिक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच कुल 12156 करोड रुपए का राजनीतिक चंदा दिया गया है।इनमें से 48 फ़ीसदी इलेक्टोरल बांड के जरिए आया है।