वीरेंद्र कुमार झा
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक नोटिस जारी कर जवाब मांगा।सुप्रीम कोर्ट में दायर इस जनहित याचिका में यह मांग की गई है कि किसी चुनाव क्षेत्र में मतगणना के दौरान यदि नोटा को सबसे ज्यादा मत प्राप्त होता है तो, उस चुनाव क्षेत्र में पुनर्मतदान कराया जाय।साथ ही उस क्षेत्र में होने वाले पुनर्मतदान में नोटा से कम मत पाने वाले को उम्मीदवार को प्रत्याशी भी नहीं बनने दिया जाय ।
भारत के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंड पीठ में हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस जनहित याचिका की सुनवाई की ।सुप्रीम कोर्ट की इस खंड पीठ में भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा न्यायाधीश जेबी पारदीवाला तथा न्यायधीश मनोज मिश्रा शामिल हैं।
मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा ने डाली है यह याचिका
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ,न्यायाधीश जी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा के खंडपीठ में सुनवाई के लिए डाला गया यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक शिव खेड़ा ने दायर की। इसमें इन्होंने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में नोटा को एक विकल्प के तौर पर ईवीएम में शामिल करवाया था वह अब नोटा को लेकर अब इससे आगे का भी निर्णय लें।
याचिकाकर्ता की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस जनहित याचिका के द्वारा यह मांग की गई है कि चुनाव सुधार के लिए इस प्रकार के नियम बनाए जाएं की यदि किसी उम्मीदवार को नोटा से कम मत प्राप्त होते हैं तो उन्हें कम से कम 5 वर्षों तक के लिए किसी भी चुनाव में खड़े होने से रोक दिया जाए ताकि सिर्फ उपयुक्त और दक्ष लोग ही चुनाव लड़ सके।इस जनहित याचिका में नोटा को तकतवार बनाते हुए किसी निर्वाचन में सभी उम्मीदवारों को अलग – अलग नोटा से कम मत प्राप्त हो तो उस चुनाव को रद्द कर वहां पुनर्मतदान करने वाला एक कानून बने ।साथ ही इस पुनर्मतदान में नोटा से कम वोट पाए उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाने से रोक लगाने वाला कानून भी बने।