विकास कुमार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से बिजली संकट पैदा हो सकता है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ओपन एआई का एआई टूल चैट जीपीटी हर घंटे 5 लाख किलोवॉट बिजली कंज्यूम कर रहा है। यह घरों की तुलना में 17 हजार गुना अधिक है,आप में से भी कई ऐसे लोग होंगे, जो ओपन एआई के एआई टूल चैट जीपीटी का इस्तेमाल करते होंगे। लेकिन, क्या आपको पता है कि ये एआई टूल दुनिया में बिजली संकट की वजह बन सकते हैं। द न्यू योर्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओपन एआई का एआई टूल चैट जीपीटी हर घंटे 5 लाख किलोवॉट बिजली की खपत कर रहा है। एवरेज निकाला जाए तो रोजाना चैट जीपीटी अमेरिकी घरों की तुलना में 17 हजार गुना अधिक बिजली की खपत कर रहा है। यह खपत 20 करोड़ यूजर्स की रिक्वेस्ट पर हो रही है। अगर यह आंकड़ा बढ़ता है तो बिजली की खपत भी खुद ब खुद बढ़ती जाएगी। बिजनेस इनसाइडर से बातचीत में डाटा वैज्ञानिक एलेक्स डी व्रीज ने बताया कि गूगल हर सर्च में जनरेटिव एआई को शामिल करता है।
वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में मानवता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है क्योंकि जिन लोगों ने इसके विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,अब वही लोग इसके खतरे को लेकर दुनिया को आगाह कर रहे हैं। सेंटर फॉर एआई सेफ्टी ने भविष्य में एआई कितना ज्यादा घातक हो सकता है इसे कुछ उदाहरण से भी समझाया है। उदाहरण के लिए, ड्रग-डिस्कवरी टूल्स का इस्तेमाल रासायनिक हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है। एआई से गलत सूचना पैदा कर समाज में अस्थिरता लाई जा सकती है। इसका एक बड़ा खतरा है कि इससे सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो सकती है। एक खतरा ये भी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत दुनिया के चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रह जाए। ऐसे में दुनिया के चंद लोग जो भी चाहें, अपने तरीके से अपने विचारों को दमनकारी सेंशरशिप के जरिए थोप सकते हैं। कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में मनुष्य एआई पर पूरी तरह से निर्भर हो जाए। कहने का मतलब है कि हम बिना मशीन या रोबोट के कुछ भी करने में खुद को बेहद ही असमर्थ पाने लगें,इसलिए एआई पर अब सार्थक चर्चा की जरूरत है।