सुप्रीम कोर्ट से राहत:-
चंडीगढ़ में मेयर पद के लिए हुए चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने 8 वोटो को अमान्य
करार दिया था। इसके बाद वहां बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई थी।बीजेपी उम्मीदवार की जीत बाद आम आदमी पार्टी इस मामले की लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजे को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का नया मेयर घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए 8 मतपत्रों को जानबूझकर खराब करने का प्रयास किया है। इंडिया गठबंधन इसे एक बड़ी जीत के तौर पर पेश कर रहा है। हालांकि अब आंकड़े उसके पक्ष में नहीं है। थोड़े ही दिनों के बाद जब बहुमत साबित करने के लिए कहा जाएगा तो यह मामला फंस सकता है।
क्या है चंडीगढ़ के मेयर का यह मामला
पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में मेयर का चुनाव लड़ा था।दोनों पार्टियों ने इसे इंडिया ब्लॉक का पहला रुख बताया था।विवादास्पद परिणाम में बीजेपी उम्मीदवार मनोज कुमार सोनकर ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप कुमार को हरा दिया था। कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गए थे।ऐसे में कुल पड़े 36 वोटो में से सोनकर को 16 वोट मिले। कुलदीप कुमार को 20 वोट मिले। 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गए और सोनकर विजयी हुए।आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने बीजेपी उम्मीदवार को जीताने के लिए कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए मत पत्रों में हेर- फेर किया। अनिल मसीह के खिलाफ आरोप तब और तेज हो गया, जब मतगणना कक्ष के सीसीटीवी फुटेज में मसीह को कैमरे की ओर देखते हुए मत पत्रों पर निशान लगाते हुए देखा गया। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर चुनाव प्रक्रिया में धोखा घड़ी और जालसाजी का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़,न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाला तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मत पत्रों की भौतिक जांच की और यह निष्कर्ष निकाला कि 8 मत पत्र जिन्हें रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह ने अमान्य कर दिया था, वे वैध थे और आम आदमी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए थे।शीर्ष न्यायालय की पीठ ने कहा कि अनिल मसीह ने याचिकाकर्ता के पक्ष में डाले गए 8 मतपत्रों को जानबूझकर नष्ट करने का प्रयास किया है। कोर्ट में सुनवाई से पहले मनोज सोनकर ने मेयर पद से इस्तीफा दे दिया।मेयर पद के लिए नए सिरे से चुनाव की भी मांग की गई ।हालांकि अदालत ने यह कहते हुए चुनाव से इनकार कर दिया कि पीठासीन अधिकारी के कदाचार के कारण पूरे चुनाव को रद्द नहीं किया जा सकता है।
चंडीगढ़ में मेयर पद का गणित
भले ही सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में कुलदीप कुमार को विजेता घोषित कर दिया है, लेकिन इंडिया गठबंधन को परिषद में बहुमत साबित करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले चंडीगढ़ से आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए। 30 जनवरी को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद बीजेपी के पास अकेले 14 वोट थे।अन्य दो वोट शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार के थे और एक पदेन सदस्य के तौर पर बीजेपी सांसद किरण खेर का था। आम आदमी पार्टी के तीनों पार्षद पूनम देवी, नेहा मुसावत और गुरुचरण काला के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही बीजेपी के पास अब 19 का जादुई आंकड़ा है ।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को विगत चुनाव में 20 वोट मिले थे, इनमें से 8 को रिटर्निंग ऑफिसर ने अवैध घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अब उन 8 वोटो को वैध ठहराया है, लेकिन 3 पार्षदों के बीजेपी में चले जाने की वजह से अब इंडिया गठबंधन की संख्या 17 ही बचीहै ।बीजेपी अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कह सकती है।