September 17, 2024

बिहार महागठबंधन में सीट विभाजन को लेकर- कांग्रेस आरजेडी आमने-सामने

बीरेंद्र कुमार झा

बिहार महागठबंधन में घटक दलों के बीच अभी भी खींचतान जारी है।आरजेडी और कांग्रेस के बीच बिहार में सीट बंटवारे को लेकर न केवल मामला अटका हुआ है,बल्कि एक दूसरे पर टी इसे लेकर आरोप और प्रत्यारोप का दौर भी जारी है।पहले दौर और दूसरे दौर के मतदान वाले क्षेत्रों के लिए आरजेडी उम्मीदवारों की घोषणा का एक तरफा निर्णय लिए जाने को लेकर कांग्रेसी नेताओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। कांग्रेसियों में औरंगाबाद सुपौल और बेगूसराय की सीटों पर आरजेडी द्वारा अपने और सीपीआई के उम्मीदवारों के नाम घोषणा को लेकर भी कांग्रेस में काफी नाराजगी है। दूसरी तरफ आरजेडी खेमा में भी पूर्व सांसद राजेश रंजन और पप्पू यादव को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर नाराजगी है।लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को 10 से अधिकí टिकटों की मांग के मुकाबले 5 से 6 सीटों से अधिक देने के लिए तैयार नहीं है तो वहीं कांग्रेस औरंगाबाद,बेगूसराय,कटिहार और सुपौल जैसी सीटों को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहती है।

2019 में के चुनाव में आरजेडी 19 और कांग्रेस के 9 उम्मीदवार थे मैदान में

लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में आरजेडी 19 लोकसभा सीटों से और कांग्रेस 9 लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ी थी। बाकी बची सीटों को उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक क्षमता पार्टी ,मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर )को दी गई थी।ऐसे में  ऐसा लगता है कि इस बार चुनाव में आरजेडीऔर कांग्रेस कुछ सीटों पर दोस्ताना चुनाव लड़ सकती है।कांग्रेस में शामिल होने वाले पप्पू यादव ने तो साफ शब्दों में कहा है कि मरना कबूल है लेकिन पूर्णिया लोकसभा सीट छोड़ना मंजूर नहीं है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गवर्नर निखिल। कुमार ने भी कहा कि उनकी कांग्रेस आलाकमान से बातचीत हुई है।

कांग्रेस और आरजेडी में कहां फंसा है पेंच

आरजेडी द्वारा कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गई है।इसमें औरंगाबाद से अभय कुशवाहा,नवादा से श्रवण कुशवाहा, गया से कुमार सर्वजीत और जमुई से अर्चना रविदास का नाम शामिल है।वहीं कांग्रेस अपने पूर्व सांसद निखिल कुमार के लिए औरंगाबाद की सीट मांग रही थी।इसके अलावा कांग्रेस सी पीआई से कांग्रेस में आए कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय सीट की उम्मीद कर रही थी, जो 5 साल पहले उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर उपविजेता रहे थे। इस बार सीपीआई ने पूर्व विधायक अवधेश राय को बेगूसराय से सपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।इस घोषणा से आरजेडी और कांग्रेस के बीच की दूरी बढ़ती चली जा रही है।

औरंगाबाद और कटिहार के सीट कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का विषय

गठबंधन की सहयोगियों के साथ बिना बातचीत के आरजेडी द्वारा सीट बंटवारे को लेकर दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त और नागालैंड के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उनके परिवार का इस लोकसभा सीट से गहरा संबंध रहा है। बिहार का चित्तौड़गढ़ कहे जाने वाले इस सीट से उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने 1971 से 1984 तक प्रतिनिधित्व किया था, जबकि उनकी माता श्यामा 1999 से 2004 तक औरंगाबाद की सांसद थी, वही कटिहार के पूर्व सांसद तारीक अनवर ने भी आरजेडी की एकतरफा सीट बंटवारे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।तारिक अनवर कटिहार से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कई बार यहां से चुनाव लड़कर जीत भी हासिल की है।

पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं पप्पू यादव

तीन बार सांसद रहे पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। वे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन के पति हैं और बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्र में प्रभाव रखने के लिए जाने जाते हैं। वे पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसकी तैयारी उन्होंने बहुत पहले ही से शुरू कर दी है। उनकी पत्नी पिछले चुनाव में सुपौल से चुनाव लड़ी थी और दूसरे नंबर पर थी।कांग्रेस की दावेदारी इस सीट को लेकर भी है,लेकिन लालू प्रसाद यादव ने यहां से अपने पार्टी के विधायक को टिकट दे  दिया है।