September 8, 2024

चंडीगढ़ मेयर चुनाव : सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र की हत्या नहीं होने दिया

चंडीगढ़ मेयर चुनाव :-

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में लोकतंत्र की ह्त्या नहीं होने दिया। बीजेपी के रिटर्निंग अधिकारी ने पहले कम वोट पाने के बाद भी बीजेपी उम्मीदवार को विजयी घोषित बकर दिया था लेकिन जैसे ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया सच सबके सामने आया और शीर्ष अदालत ने पुरे खेल को ही बदल दिया और कांग्रेस -आप के संयुक्त उम्मीदवार को विजय घोषित कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ़ हो गया है कि बीजेपी अपनी ताकत के बल पर कुछ भी करने का इरादा रखती है और वह सफलता के लिए कुछ भी करती है।

इसमें कोई शक नहीं कि अभी बीजेपी जो चाहती रही है ,वही होता भी रहा है। बीजेपी की ताकत इतनी बढ़ गई है कि वह कुछ कर सकती है यहाँ तक कि चुनावी परिणाम को भी अपने पाले में कर सकती है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव कुछ भी हुआ और अब सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद जो हुआ है उससे साफ़ हो गया है कि बीजेपी लोकतंत्र को लूटने का काम कर रही है। अगर देश की जनता इन बातों को समझ जाए तो आगामी चुनाव में बड़ा उलट फेर हो सकता है। लेकिन क्या जनता देश के भीतर जो हुआ है और हो रहा है उसे पाएगी ?

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों ही चुनावी बॉंड को असंवैधानिक मानते हुए उसे रद्द कर दिया था। अदालत ने चुनावी बांड को एक तरह से देश के साथ लूट करार दिया था। जिस तरह से चुनावी बॉंड के जरिये चुनावी फंड के नाम पर धन इकट्ठे की जा रहे थे और कोई भी जानकारी जनता को नहीं दी जा रही थी उससे लगता था कि इस चुनावी बांड के पीछे को गुप्त खेल हो रहा है। लेकिन जैसे ही यह मामला शीर्ष अदालत के सामने आया वह गुप्त खेल भी एक्सपोज हो गया। बीजेपी अभी इस फैसले पर मौन है। बीजेपी के पास कोई जवाब नहीं है।

चुनावी बांड की कहानी अभी आगे बढ़ ही रही थी कि सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई धांधली को लोगों के सामने ला दिया। बता दिया कि बीजेपी ने जो कुछ भी किया था वह गलत था और लोकतंत्र के साथ मजाक था। अब कहा जा सकता है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी वोटों की दोबारा गिनती के बाज आप और कांग्रेस के कुलदीप कुमार को विजेती घोषित किया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने रिटर्निंग अफसर द्वारा अमान्य घोषित सभी 8 वोटों को मान्य करार देते हुए वोटों की दोबारा गिनती के आदेश दिए थे। इन सभी वोटों के बैलेट पेपर पर तत्कालीन रिटर्निंग ऑफिसर अनील मसीह ने क्रॉस लगाकर अवैध घोषित कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुलदीप कुमार ने कहा कि मैं कोर्ट का धन्यवाद देना चाहता हूं। सच को कुछ समय के लिए परेशान किया जा सकता है लेकिन कुचला या दबाया नहीं जा सकता। सच की जीत होती ही है। सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र की हत्या नहीं होने दी है। वहीं आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि कुलदीप कुमार एक गरीब घर का लड़का ह। इंडिया गठबंधन की ओर से चंडीगढ़ का मेयर बनने पर बहुत बहुत बधाई। ये केवल भारतीय जनतंत्र और सुप्रीम कोर्ट की वजह से संभव हुआ। हमें किसी भी हालत में अपने जनतंत्र और स्वायत्त संस्थाओं की निष्पक्षता को बचाकर रखना है।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को निरंकुश बीजेपी की जकड़ से बचाया है, जिसने गंदे चुनावी हेरफेर का सहारा लिया। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में संस्थागत तोड़फोड़ लोकतंत्र को कुचलने की मोदी-शाह की कुटिल साजिश का एक छोटा सा हिस्सा मात्र है। सभी भारतीयों को हमारे संविधान पर इस हमले का सामूहिक रूप से मुकाबला करना चाहिए। कभी नहीं भूलें, 2024 के लोकसभा चुनाव में हमारा लोकतंत्र चौराहे पर होगा!

इससे पहले मंगलवार को मामले की आगे सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव के दौरान अवैध घोषित सभी 8 वोट आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पक्ष में थे। कोर्ट ने कहा कि रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह ने अपने अधिकार से बाहर जाकर काम किया और 8 बैलेट पेपर पर अपना मार्क लगाया। रिटर्निंग ऑफिसर ने अपराध किया है। इसके लिए उसके खिलाफ समुचित कार्रवाई हो

इससे पहले सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई की बेंच के सामने रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने कुबूल किया था कि उन्होंने ही बैलट पेपर पर क्रॉस लगाया था। कोर्ट ने रिटर्निंग अफसर से पूछताछ के बाद चुनाव से संबंधित सारे ऑरिजनल वीडियो रिकॉर्डिंग और दस्तावेज के साथ सारे बैलट पेपर मंगाए थे, जो आज कोर्ट रूम पहुंचे। रिटर्निंग ऑफिसर का वीडियो और बैलेट पेपर भी कोर्ट रूम में जमा कर दिए गए। उन्हें देखने के बाद कोर्ट ने आज अवैध सभी 8 मतो को वैध घोषित करते हुए आप उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया।

गौरतलब है कि पिछले महीने हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आप और कांग्रेस के आठ पार्षदों के वोटों को जानबूझकर खराब करते हुए अवैध घोषित करते हुए बीजेपी उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया था। लेकिन मसीह की हरकतें कैमरे में कैद हो गईं, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जहां आज कोर्ट से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है और इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत हुई है।