September 8, 2024

मुश्किल में फंस गए अखिलेश यादव, अपने ही उठा रहे फैसले पर सवाल

बीरेंद्र कुमार झा

राज्यसभा के हालिया चुनाव में हुए क्रॉस वोटिंग के मामले ने कई राज्यों में कुछ राजनीतिक दलों को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है। हिमाचल प्रदेश में इसका शिकार कांग्रेस पार्टी हुई है तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी।पार्टी के विधायकों के क्रॉस वोटिंग कर अपनी पार्टी की नीतियों का विरोध प्रदर्शन के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इस समय मुश्किल में फंस गए हैं।ओबीसी, दलितों और अल्पसंख्यकों पर उनकी रणनीति का उलटा असर हुआ है और ऊंची जातियों और पीडीए वर्गों ने उन पर तीखे हमले किए हैं।

ऊंची जातियों के विधायकों ने पार्टी पर समावेशी नीति छोड़ने का लगाया आरोप

हाल के राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग करने वाले समाजवादी पार्टी के सात विधायकों में से पांच ऊंची जातियों के थे। इनमें से तीन ब्राह्मण व दो ठाकुर थे।उनकी शिकायत थी कि समाजवादी पार्टी ने समावेशिता की नीति छोड़ दी है।

 

ब्राह्मण विधायकों में से एक ने कहा कि पीडीए हमारे लिए कोई जगह नहीं छोड़ता। जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्य ने सनातन धर्म की आलोचना की थी और अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी थी उससे पता चलता है कि उन्होंने मौर्य की आलोचना को अपनी सहमति दे दी।

राम लला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न होने के फैसले पर उठाया सवाल

पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर गुरुवार को अयोध्या में राम मंदिर का दौरा करने वाले विधायकों में से एक, मनोज पांडे ने कहा, अधिकांश विधायक मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ अयोध्या जाना चाहते थे। हमें लगा कि मंदिर का दौरा पार्टी लाइन से ऊपर होना चाहिए, लेकिन हमारे नेताओं ने न जाने का फैसला किया और हमें इसका पालन करना पड़ा था।

ओबीसी नेता भी पीडीए पर उठा रहे सवाल

ऊंची जाति के विधायकों के साथ ही ओबीसी नेता भी पीडीए के फॉर्मूले पर सवाल उठा रहे हैं। पार्टी विधायक पल्लवी पटेल ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों के चयन की आलोचना करते हुए कहा था कि जया बच्चन और आलोक रंजन जैसे उम्मीदवारों के चयन में पीडीए कहां है। बाद में वह मान गईं थीं लेकिन उन्होंने अपना वोट दलित रामजी लाल सुमन को दिया था।

लग रहे तमाम आरोप

स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद भी कहा कि समाजवादी पार्टी सही मायनों में पीडीए का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि अखिलेश समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के रास्ते से भटक गए हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व सहयोगी सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर बार-बार अखिलेश की आलोचना करते रहे हैं और उन पर पीडीए के फॉर्मूले को महज नारे के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते रहे हैं।

मुस्लिम नेताओं ने मुसलमानों की अनदेखी का आरोप लगाकर छोड़ी पार्टी

पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने भी अखिलेश पर राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों के चयन में मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी। पूर्व मंत्री आबिद रजा ने भी इसी आधार पर इस्तीफा दे दिया।लोकसभा चुनाव के पहले ऊंची जातियों, ओबीसी और मुस्लिम नेताओं द्वारा उनका साथ छोड़ने के बाद, अब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव को एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।एक तरफ, उन्हें अपनी पार्टी की एकता को बनाए रखने के लिए और दूसरी तरफ, अपनी नीतियों के प्रति अपने मतदाताओं के विश्वास को बनाए रखने के लिए कार्य करने की जरूरत है।इसके लिए राजनीतिक कौशल की आवश्यकता है।