September 8, 2024

हेमंत सोरेन की भाभी और विधायक सीता सोरेन का इस्तीफा,चुनाव पूर्व जेएमएम को बड़ा झटका,

बीरेंद्र कुमार झा

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और जेएमएम विधायक सीता सोरेन ने पार्टी और विधायकी दोनों से इस्तीफा दे दिया है।लोकसभा चुनाव से पहले सोरेन परिवार के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुख्यमंत्रित्व वाली झारखंड की महागठबंधन वाली सरकार को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के कारण इस्तीफा देने के बाद झारखंड में चंपई सोरेन के नेतृत्ववाली नई सरकार के गठन के दौरान सीता सोरेन का नाम कैबिनेट मंत्रियों की रेस में था। लेकिन इसके बावजूद उन्हें जगह नहीं मिली। उस वक्त सीता सोरेन के नाराजगी की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।माना जा रहा था कि बीच में सबकुछ ठीक हो गया था लेकिन अब उनके इस्तीफे से कलह खुलकर सामने आ गई है।

क्या लिखा है सीता सोरेन ने अपने इस्तीफा में

अपने इस्तीफे में सीता सोरेन ने लिखा है कि मैं सीता सोरेन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की केन्द्रीय महासचिव, सक्रिय सदस्य एवं वर्त्तमान विधायक हूँ।में आपके समक्ष अत्यन्त दुःखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा प्रस्तुत कर रहीं हूँ। मेरे स्वर्गीय पति, दुर्गा सोरेन, जो कि झारखण्ड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे, के निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहें है।

इस्तीफा वाले पत्र में उन्होंने उन्होंने आगे लिखा है कि पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमे अलग-थलग किया गया है, जो कि मेरे लिए अत्यन्त पीड़ादायक रहा है।मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेगी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ।झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जिसे मेरे स्वर्गीय पति ने अपने त्याग समपर्ण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था, आज वह पार्टी नहीं रहीं। मुझे यह देख कर गहरा दुःख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है जिनके दृष्टिकोण और उ‌द्देश्य हमारे मुल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते हैं।

परिवार की एकजुटता बनाने के शिबू सोरेन के प्रयास की विफलता पर जताया अफशोश

सीता सोरेन ने पत्र में लिखा कि गुरूजी बाबा के (शिबू सोरेन) ने हम सभी को एकजुट रखने के लिए कठिन परिश्रम किया ,लेकिन मुझे अफसोस है कि उसके प्रयास भी विफल रहे।मुझे हाल ही में यह ज्ञात हुआ है कि मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ भी एक गहरी साजिश रची जा रही है।मैं अत्यन्त दुःखी हूँ।मैंने यह दृढ़ निश्चय किया कि मुझे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा। अतः मैं अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहीं हूं और आप से निवेदन करती हूं कि मेरे इस्तीफे को स्वीकार किया जाय।

लगातार चुनाव जीतने के बावजूद कभी नहीं मिला मंत्री पद

अपने पति दुर्गा सोरेन के स्वर्गवास के बाद 2009 ई से दुमका जिला के जमा विधानसभा क्षेत्र से सीता सोरेन ने चुनाव लड़ना प्रारंभ किया था। तब से लेकर अब तक इन्होंने कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं हारा है। बावजूद इसके इन्हें कभी भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के शासन काल में मंत्री पद नहीं मिला।इसके विपरीत बीच-बीच में चुनाव हारने वाले हेमंत सोरेन को पार्टी और परिवार की तरफ से पहले झारखंड का उपमुख्यमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री तक बनाया गया।इतना ही नहीं उपचुनाव के जरिए सिर्फ एक बार विधानसभा चुनाव जीतने वाला इन्हीं के परिवार का सदस्य बसंत सोरेन को भी मंत्री पद मिला मिल गया, लेकिन सीता सोरेन को इस मामले में कभी भी सोरेन परिवार का समर्थन नहीं मिला। यहां तक की हेमंत सोरेन के इस्तीफा के बाद जब चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री के रूप शपथ ग्रहण होना था,तब सीता सोरेन का भी मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की बात चली थी, लेकिन बाद में इन्हें किनारा कर दिया गया। इन तमाम वजह से पार्टी और परिवार से छुब्ध चल रही सीता शरण ने आखिरकार झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ-साथ विधायकी और शिबू सोरेन परिवार से भी किनारा करने का निर्णय ले लिया।

भारतीय जनता पार्टी में हुई शामिल

झारखंड मुक्ति मोर्चा और विधान सभा से इस्तीफा देने के दिन मंगलवार को ही सीता सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर लिया। भारतीय जनता पार्टी के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान उनके साथ संजय मयूख समेत अन्य नेता शामिल थे। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी की जीत के लिए हर संभव प्रयास करेंगी और पार्टी के झारखंड के सभी लोकसभा सीट जीतने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी।