September 8, 2024

विदेश मंत्री का कांग्रेस पर हमला,नेहरू ने यूएनएससी में मिल रही स्थायी जगह को खोया

बीरेंद्र कुमार झा

लोकसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी इस समय कांग्रेस पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूक रही है। खासकर इन दिनों यह का नेहरू और इंदिरा पर ज्यादा ही हमलावर हो गई है क्योंकि इनका सीधा संबंध सोनिया गांधी और राहुल गांधी से है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोनिया गांधी के नाना स्वशुर और देश के पहले कांग्रेसी प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर हमला बोलते हुए दावा किया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और चीन के द्वारा भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर कब्जे जमाने जैसी समस्याओं के लिए अतीत में की गई नेहरू की गलतियां जिम्मेदार है।यहां तक की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(यूएनएससी) में भारत को स्थाई सदस्यता की पेशकश किए जाने के समय के रुख का जिक्र करते हुए एस जयशंकर ने दावा किया कि एक समय था,जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे लेकर कहा था ‘भारत बाद में और चीन पहले’।

गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स&इंडस्ट्री के कार्यक्रम में पूछा गया सवाल

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर गुजरात चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। हाल के दिन दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत बीजेपी के बड़े नेताओं द्वारा कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने के मुद्दे पर नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधने को लेकर स्थानीय पत्रकारों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से सवाल किया कि क्या भारत को पाक और चीन द्वारा कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र की स्थिति के साथ सामंजस्य बिठाना चाहिए या इन्हें वापस पाने के लिए प्रयास करना चाहिए ?

विदेश मंत्री एस जयशंकर का जबाव

पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1950 में तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को चीन के प्रति आगाह किया था।पटेल ने नेहरू से कहा था कि आज पहली बार हम दो मोर्चे (पाकिस्तान और चीन) पर ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, जिसका सामना भारत ने पहले कभी नहीं किया था। बल्लभ भाई पटेल ने नेहरू से यह भी कहा था कि वह चीन की बातों पर विश्वास नहीं करते हैं क्योंकि उसके इरादे कुछ और ही प्रतीत होते हैं ।ऐसे में हमें चीन को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। एस जयशंकर ने कहा कि इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पटेल को उत्तर दिया कि आप अनावश्यक रूप से चीन पर संदेह करते हैं।नेहरू ने यह भी कहा था कि हिमालय से हम पर हमला करना किसी के लिए भी संभव नहीं है। यानि नेहरू ने चीनी खतरे को पूरी तरह से खारिज कर दिया था।गौरतलब है कि 1962 में चीन ने इस तरफ से ही भारत पर आक्रमण कर भारत की कुछ जमीन हड़प ली थी।

वहीं कश्मीर के मुद्दे को लेकर 1947 में हुए भारत – पाक युद्ध को वल्लभभाई पटेल संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के पक्ष में नहीं थे,क्योंकि वहां के एक न्यायाधीश की सोच को वे जानते थे ।लेकिन इसके बावजूद जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ को स्थान दिया जिस कारण कश्मीर का 1/3 हिस्सा से भारत वंचित रह गया और यह हिस्सा आज पीओके के रूप में पाकिस्तान के कब्जे है।

नेहरू की वजह से भारत संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं बन सका

विदेश मंत्री एस जयशंकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देकर ही नहीं रुके, बल्कि बातों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की नेहरू की इतनी ही गलती नहीं है ,उन्होंने और भी कई बड़ी- बड़ी भूल की।यहां तक की जब संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के विषय पर बहस हुई थी और इसके लिए भारत की पेशकश की जा रही थी,तब भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का आरोप किया था कि हम इसके हकदार हैं,लेकिन पहले यह चीन को मिलना चाहिए। विदेश मंत्री एस शंकर ने तंज कसते हुए कहा कि एक समय वह था जब नेहरू कहा करते थे कि भारत बाद में और चीन पहले,और एक समय यह है,जब हम कहते हैं कि हम अभी भारत प्रथम की नीति पर चल रहे हैं।