September 8, 2024

महाराष्ट्र :अमरावती में प्रदूषित तालाब का पानी पीने को मजबूर हुए लोग

न्यूज़ डेस्क
आजादी के 76 साल बाद भी जब इंसान को पीने को साफ़ पानी नहीं मिले तो आप इसे क्या कहेंगे ? हर पांच साल पर चुनाव होते हैं। सरकार बनती है। लोकतंत्र का ढिंढोरा खूब पीटा जाता है। देश में विकास की गाथा खूब सुनाई जाती है लेकिन पीने के लिए पानी जनता को नहीं मिले तो आप इसे क्या कहेंगे ?

महाराष्ट्र से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सूबे के अमरावती जिले में मरियमपुर गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों को इस चिलचिलाती गर्मी में पीने के पानी के लाले पड़ रहे हैं। यहां के लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। लोग कच्चे रास्तों और ऊंचे पहाड़ों से होकर पानी लेने जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में पानी का स्रोत सिर्फ प्रदूषित तालाब है, जो यहां के ग्रामीणों की जरूरत पूरा कर रहा है। इसके अलावा, प्रदूषित तालाब के किनारे गड्ढे खोदकर लोग पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

जैसे-तैसे ये ग्रामीण पानी भरकर ले आ रहे हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल करना इससे भी ज्यादा खतरनाक है। दूषित और अस्वस्थ पानी लोगों को बीमार भी कर रहा है। इस गंदे पानी के लिए ग्रामीण मीलों पैदल चल रहे हैं। मरियमपुर गांव की रहने वाली फुलकाई बेलसरे का कहना है कि गड्ढे में पानी खत्म होने पर तालाब से गंदा पानी लेना पड़ता है।

फुलकाई बेलसरे ने कहा, ‘हम पानी लेने के लिए रात 10-11 बजे तक यहां बैठे रहते हैं। गड्ढे में पानी खत्म हो जाता है तो तालाब से गंदा पानी लेना पड़ता है। हमें न तो पानी के टैंकर मिल रहे हैं और न ही नलों में पानी मिल रहा है।’

मरियमपुर गांव के रहने वाले सुभाष सावलकर ने कहा, ‘हमें सुबह चार बजे उठना पड़ता है और तालाब के पास आना पड़ता है। पानी इकट्ठा करने के लिए गड्ढा खोदना पड़ता है। इस पानी को पीने के बाद हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं, यहां पानी का कोई अन्य स्रोत नहीं है, यहां पानी का कोई टैंकर नहीं आता है।’

जास्मिन प्रकाश ने कहा, ‘कोई यहां की स्थिति का जायजा नहीं ले रहा। इस पानी को पीने के बाद लोग बीमार हो रहे हैं। हमारी परेशानी को न तो जल प्रदाय विभाग देख पा रहा है और न ही नगर परिषद। हर गांव में पानी की टंकी और बोरवेल है, लेकिन हमारे गांव में पानी की कमी के कारण बोरवेल नहीं खोदा जा सकता।’