September 8, 2024

क्या आरक्षण मिलने के बावजूद मराठाओं के साथ हुआ धोखा?

क्या आरक्षण मिलने के बावजूद मराठा:-

आखिरकार मराठा समाज को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का बिल महाराष्ट्र विधानसभा से सर्वसम्मति से पास हो ही गया. नौकरियों और शिक्षा में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत 10 प्रतिशत मराठा आरक्षण का कानून पारित होने के साथ ही महाराष्ट्र में कुल आरक्षण अब 62 प्रतिशत हो जाएगा. लेकिन इससे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे एक्टिविस्ट मनोज जरांगे पाटिल ने इसे मराठा समुदाय के साथ धोखा बता दिया है. उन्होंने कहा है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा. आखिर वे खुश क्यों नहीं है? मराठा समाज के साथ आखिर क्या धोखा हुआ है? बता दें कि आरक्षण की सिफारिश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में की थी. उसमें कहा गया कि मराठा समुदाय एक सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग है और इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 ए (3) के तहत पहचाना जाना चाहिए और संविधान के अनुच्छेद 15(4),15(5) और अनुच्छेद 16(4) के तहत इस वर्ग के लिए आरक्षण तय किया जाना चाहिए. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे ने बीते शुक्रवार को ही मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य भर में किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपी थी.

रिपोर्ट के अनुसार ही राज्य सरकार ने विधानमंडल का विशेष अधिवेशन आहूत कर सर्वसम्मति से मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया. चूंकि मराठा समुदाय, महाराष्ट्र की कुल आबादी का 33 प्रतिशत हिस्सा है. इसलिए इसके मुख्य आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल चाहते हैं कि ओबीसी कोटे से ही मराठाओं को आरक्षण दिया जाए, लेकिन इसके लिए प्रदेश के बड़े ओबीसी नेता और राज्य सरकार के काबीना मंत्री छगन भुजबल तैयार नहीं है. हालांकि मराठों के लिए आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारों ने पहले भी कई कोशिशें कीं, पर अदालतों ने उसे खारिज कर दिया था. लेकिन विरोध की लहर और मराठों की राजनीतिक हिस्सेदारी ने इस मुद्दे को बार-बार हवा दी.

अबकी बार कोटा मुद्दे पर राज्य सरकार ने मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल के मद्देनजर महत्वपूर्ण कदम उठाया. मनोज जरांगे पाटिल जालना जिले के अपने गांव अन्तरावली में मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठ गए. इसके बाद सरकार ने 20 फरवरी को विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया और मराठा आरक्षण बिल पास करवा दिया. मनोज जरांगे पाटिल ने इसका स्वागत तो किया, लेकिन नाखुशी भी जताई.

मराठा आरक्षण बिल पारित होने के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि सरकार ने जो किया है इससे कोटा 62 फीसदी हो जाएगा और इसे सुप्रीम कोर्ट खारिज कर देगा. उनके अनुसार, इस बिल में मराठाओं की मांग को पूरा ही नहीं किया गया है. मराठा समाज को ओबीसी कोटे के तहत ही आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. दरअसल, राज्य में 52 प्रतिशत आरक्षण पहले से है. अब 10 प्रतिशत मराठा आरक्षण जुड़ने से रिजर्वेशन लिमिट 62 प्रतिशत हो जाएगी.

माना जा रहा है कि रिजर्वेशन कोटा 50 प्रतिशत से ज्यादा होने से इस बिल को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देने के फैसले को रद्द कर दिया था, क्योंकि रिजर्वेशन लिमिट 50 प्रतिशत से ऊपर हो गई थी. अब देखना है कि इस आरक्षण का क्या होता है?