September 8, 2024

क्या है अवैध खनन का मामला, जिसमें सीबीआई ने अखिलेश यादव को किया है तलब

बीरेंद्र कुमार झा

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 5 साल पुराने अवैध खनन मामले में गुरुवार को पूछताछ के लिए दिल्ली दफ्तर में बुलाया है। यह मामला उस वक्त का है जब अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे। सीबीआई ने उन्हें इस मामले में आरोपी नहीं बनाया है,बल्कि बतौर गवाह पूछताछ के लिए समन जारी किया है। सीबीआई ने अखिलेश यादव को यह समन तब जारी किया है जब एक दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होने वाला है।

क्या है अवैध खनन का मामला

जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब यानी 2012 से 2016 के दौरान राज्य के फतेहपुर, देवरिया,शामली, कौशांबी, सहारनपुर, सिद्धार्थ नगर और हमीरपुर जिलों में अवैध खनन के मामले सामने आए थे।उस दौरान गायत्री प्रजापति और उनकी बर्खास्तगी के बाद खुद अखिलेश यादव के पास खान मंत्रालय का जिम्मा था।आरोप है कि उस दौरान खनन पट्टे जारी करने में ई – टेंडरिंग का कथित तौर पर उल्लंघन किया गया था।

हाईकोर्ट ने दिया था सीबीआई जांच का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई 2016 में ही इस मामले की जांच सीबीआई से करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 2 जनवरी 2019 को इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था ।सीबीआई इस मामले में अखिलेश और उनके कैबिनेट के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की भूमिका की जांच कर रही है।सीबीआई की एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) इस मामले में गठित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है।

क्या-क्या है आरोप

इस मामले में आरोप है कि अखिलेश यादव की सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून के प्रतिबंधों के बावजूद अवैध खनन की अनुमति दी थी और अवैध लाइसेंस रिन्यू किए थे। इसके अलावा अखिलेश पर आरोप है कि उन्होंने ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए एक ही दिन में 13 खनन परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन पर यह भी आरोप है उनके कार्यकाल में अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी और इसके एवज में पट्टा धारकों और वहां चालकों से पैसे वसूले।

सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 17 फरवरी 2013 को एक ही दिनों में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी जो कथित तौर पर ई- टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन है ।सीबीआई ने उस मुद्दे की जांच के लिए 7 प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दर्ज की थी, जो एफआईआर की प्रस्तावना है ।प्राथमिकी के अनुसार 2012-13 के दौरान खनन विभाग अखिलेश यादव के पास ही था, जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेश की घेरे में आ गई। वर्ष 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार किया गया था।

सीबीआई ने डीएम पर भी कसा था शिकंजा

सीबीआई ने इस मामले में जनवरी 2019 में हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला समेत 11 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी ।समाजवादी पार्टी के विधान पार्षद रमेश मिश्रा और संजय दीक्षित के ठिकानों पर भी तब इसलिए छापा मारा गया था, ताकि अवैध खनन से जुड़े रास्ते दस्तावेज ढूंढे जा सके ।सीबीआई ने इस मामले में रमेश मिश्रा, दिनेश कुमार मिश्रा, अंबिका तिवारी, सत्यदेव दीक्षित और उनके बेटे संजय दीक्षित राम, अवतार सिंह, करण सिंह और आदित्य खान को भी आरोपी बनाया है।ये सभी खनन पट्टाधारक थे।

क्या है समाजवादी पार्टी का आरोप

समाजवादी पार्टी का आरोप है कि जब 2019 के लोकसभा चुनाव होने वाले थे, तब सीबीआई का इस्तेमाल अखिलेश यादव के खिलाफ इस मामले में किया गया था और जब फिर 5 साल बाद लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं तो फिर से इस मामले में इस एजेंसी के द्वारा अखिलेश यादव को तलब किया गया है। समाजवादी पार्टी नेता इसे चुनावी और सियासी साजिश बता रहे हैं। अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा कि समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा निशाने पर है। वर्ष 2019 में भी मुझे नोटिस मिला था, क्योंकि तब भी लोकसभा का चुनाव सामने था और अब जब चुनाव सामने आ रहा है तो मुझे एक बार फिर से सीबीआई का नोटिस मिल रहा है। मैं समझता हूं कि जब-जब चुनाव आएगा तो नोटिस भी आएगा इससे घबराहट क्यों।!