September 8, 2024

महाधिवक्ता की सहमति के बाद पेसा एक्ट का प्रारूप कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा

वीरेंद्र कुमार झा

आदिवासियों के कल्याण के लिए गठित भूरिया कमिटी का गठन किया गया था।इस कमिटी ने 1995 ईस्वी में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। 1996 ईस्वी में केंद्र सरकार ने भूरिया कमेटी के इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए आदिवासियों के कल्याण के लिए पंचायत एक्सटेंशन तो शेड्यूल्ड एरिया एक्ट लागू कर दिया। तब शेड्यूल एरिया में पढ़ने वाले कुछ राज्यों ने इसे अपने राज्यों में लागू किया लेकिन झारखंड की उत्पत्ति नहीं होने के कारण झारखंड में अलग राज्य बनने की बावजूद पेसा एक्ट लागू नहीं हुआ। पूर्व में आधे – अधूरे मन से इसे लागू करने का प्रयास किया गया था। लेकिन इस पर सड़क से लेकर न्यायालय तक में आपत्ती होने से यh लागू नहीं हो सका अब इसे एक नए प्रारूप में लागू करने का प्रयास किया जा रहा है ।

विधि विभाग की सहमति के बाद कैबिनेट की ली जाएगी सहमति

महाधिवक्ता की सहमति के बाद अब विधि विभाग ने पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार ‘पेसा रूल’ पर अपनी सहमति दे दी है।राज्य के महाधिवक्ता ने दर्ज आपत्तियों को खारिज करते हुए पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार पेसा रूल को नियमसम्मत करार दिया है।महाधिवक्ता की राय के बाद इससे संबंधित फाइल विभाग को लौटा दी गयी है, ताकि इस पर कैबिनेट की सहमति ली जा सके। पंचायती राज विभाग ने पेसा रूल का प्रारूप 26 जुलाई 2023 को प्रकाशित कर इस पर लोगों की राय और आपत्तियां मांगी थीं।इस सिलसिले में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच, वाल्टर कंडुलना, रॉबर्ट मिंज सहित अन्य लोगों व संगठनों की ओर सुझाव और आपत्तियां दर्ज करायी गयी थींं।विभाग ने इससे संबंधित हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में अधिकांश आपत्तियों को खारिज कर दिया। साथ ही कुछ सुझावों को स्वीकार किया और पेसा रूल के प्रारूप पर सहमति के लिए फाइल विधि विभाग को भेज दी।विधि विभाग ने पेसा रूल पर राज्य के महाधिवक्ता से राय मांगी। विधि विभाग के अनुरोध पर महाधिवक्ता ने पेसा रूल पर अपनी राय देते हुए उसे कानून सम्मत करार दिया है।

क्या कहा है महाधिवक्ता ने

महाधिवक्ता ने पेसा रूल पर कानूनी बिंदुओं पर अपनी राय देते हुए कहा है कि इससे संबंधित दस्तावेज के अध्ययन में यह पाया गया है कि यह नियमावली हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका(49/21) और सुप्रीम कोर्ट में दायर सिविल अपील नंबर-484/2006 में दिये गये गये न्यायिक आदेशों के अनुरूप बनायी गयी है। झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित पेसा रूल-2002 प्रथमदृष्टया नियम सम्मत प्रतीत होता है।महाधिवक्ता की राय के बाद विधि विभाग ने पेसा रूल पर अपनी सहमति दे दी है।

विधायकों में केवल नेहा शिल्पी तिर्की ने दिया था सुझाव

पेसा रूल के विधि विभाग में विचाराधीन रहने के दौरान ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी(टीएसी) ने इसके प्रारूप पर विचार किया था। टीएसी में पेसा रूल पर विचार करने के दौरान इसे और बेहतर बनाने के लिए विधायकों द्वारा और सुझाव दिये जाने का फैसला किया गया था। हालांकि, विधायक नेहा शिल्पी तिर्की के अतिरिक्त किसी विधायक ने पेसा रूप पर सुझाव नहीं दिया। विभाग ने नेहा शिल्पी तिर्की द्वारा दिये गये सुझाव पर विचार करने के बाद उसे खारिज कर दिया है। इसके लिए पेसा अधिनियम-1996 में राज्य को नियमावली बनाने की शक्ति नहीं दिये जाने और हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को आधार बनाया गया है।नेहा शिल्पी तिर्की की ओर से आपत्ति दर्ज करते हुए पेसा रूल को पेसा अधिनियम-1996 के अनुरूप बनाने का सुझाव दिया गया था।विभाग ने हाइकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के न्यायिक आदेशों के आलोक में पेसा रूल-2022 को पेसा अधिनियम-1996 के अनुरूप करार दिया है।

पेसा रूल के महत्वपूर्ण प्रावधान

* आदिवासियों की जमीन खरीद-बिक्री से पहले ग्रामसभा की सहमति लेना जरूरी।

* ग्रामसभा को आदिवासियों की जमीन वापस कराने का अधिकार।

* मानकी मुंडा सहित अन्य ग्राम प्रधानों को ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता का अधिकार।

* शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए ग्रामसभा को आइपीसी की 36 धाराओं के तहत 1000 रुपये तक दंड लगाने का      अधिकार।

* ग्रामीणों की गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे के अंदर पुलिस ग्रामसभा को गिरफ्तारी और अपराध की सूचना देगी।

* ग्रामसभा को में बांस, बेंत, शहद, लाह, महुआ, हर्रा, बहेरा, करंज, सरई, आंवला, रुगड़ा, तेंदू, केंदू पत्ता सहित          औषधीय पौधों पर अधिकार होगा।

* संविधान के अनुच्छेद-275(1) के तहत केंद्र से मिले अनुदान और जिला खनिज विकास निधि पर ग्रामसभा का            अधिकार होगा।